Monday, December 14, 2009

गांवों में स्वराज अभियान


गांवों में गतिविधियों के तहत इस अभियान से जुड़े लोग गांव गांव जाकर लोगों को स्वराज के बारे में समझा रहे हैं. गांव के युवाओं को आगे लाकर उनके सामने प्रस्ताव स्वराज का रखा जाता है. अगर उन्हें लगता है कि इससे उनके गांव की व्यवस्था बेहतर हो सकेगी तो उनसे उस पर काम करने के लिए चर्चा की जाती है.
अभियान के तहत किसी तरह का विचार आरोपण अथवा केंद्रीय कार्यक्रम नहीं चलाया जाता.
हरेक गांव की अपनी समस्याएं हैं, उनके समाधान भी अलग ही होंगे जो खुद उन गांववालों की सोच के आधार गांव वालों द्वारा ही निकाले जाएंगे. अभियान की ‘शुरुआत के लिए एक स्टीकर गांव में उन घरों के मुख्य दरवाज़े पर लगाने के लिए दिया जाता है जिस घर में लोग इससे वाकिफ हों कि इसका मतलब क्या है. साथ ही एक हैंडबिल दिया जाता है जिसमें स्वराज के बारे में समझाया गया है.
लेकिन गांव में स्वराज लाने के लिए क्या करना होगा. कैसे ‘शुरुआत होगी, कौन क्या करेगा, इस बारे में खुद गांव के युवा निर्णय लेते हैं.
कुछ गांवों में खुद ग्राम प्रधान भी इससे सहमत होते हैं और पूरी बात सुनने के बाद मानते हैं कि उन्होंने इस दिशा में कुछ नहीं किया लेकिन अब करेंगे.
यह भी उल्लेखनीय है कि कुछ भी अचानक नहीं बदलेगा. लेकिन हमें उम्मीद है कि इन प्रयासों से स्वराज को समझने और चाहने वालों की संख्या बढ़ रही है. एक गांव में मीटिंग होती है तो आस पास के गांवों के भी युवा आकर अपने गांव में इस तरह की ‘शुरुआत करने का आग्रह करते हैं. यह स्वत: प्रमाण है.
नीचे के कुछ फोटोग्राफ हाल में हुई ग्राम स्वराज बैठकों के हैं. हमारा प्रयास है कि जल्द ही इससे जुड़ी विस्तृत जानकारी यहां उपलब्ध कराई जा सके.





इस वीडियो में मुज़फ्फरनगर ज़िले के एक गांव में पहली बैठक की कार्यवाही रिकार्ड है. इसमें स्वराज को समझाना, लोगों की प्रतिक्रिया और अंत में ग्राम प्रधान का ग्राम सभा कराने का ऐलान तक ‘शामिल है.







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