Sunday, December 13, 2009

दिल्ली

जनता जब निर्णय लेती है तो काम किस तरीके से और किस तेजी से होते हैं, इसकी मिसाल स्वराज के तहत त्रिलोकपुरी और मयूर विहार में चल रही मोहल्ला सभा के जरिए देखी और समझी जा सकती है। दिल्ली के इस इलाके में लोक और तंत्र के बीच की दूरी खत्म करने के लिए चल रहे इस अभियान को ठीक से दो महीने भी नहीं हुए हैं लेकिन इसके जो परिणाम सामने आए हैं, उससे लोगों को एक नई उम्मीद बंधी है।

यहां के स्थानीय लोगों को अब अपने छोटे-छोटे कामों के लिए दिल्ली नगर निगम के कार्यालय के चक्कर नहीं काटने पड़ते। और न ही व्रद्धावस्था या विधवा पेंशन पाने के लिए बाबुओं का मुंह ताकना पड़ता है। जरूरतमंद लोगों की सूची और उनको पेंशन इन मोहल्ला सभाओं में ही वितरित की जा रही है। हर महीने होने वाली मोहल्ला सभा की बैठक में जनता की समस्याओं से ताल्लुक रखने वाले अधिकारी और कर्मचारी हाजिर होते हैं, लोगों की समस्याएं सुनते हैं और उन्हें हल करते हैं। उन्हें काम करना पड़ता है क्योंकि मोहल्ला सभा की अगली बैठक में उन्हें किए गए काम की रिपोर्ट देनी होती है।

मोहल्ला सभा की सफलता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि त्रिलोकपुरी में मोहल्ला सभा की बैठकों के बाद-

सूनी देवी को मयूर विहार में 12 सितंबर को हुई मोहल्ला सभा की बैठक में वृद्धावस्था पेंशन का चैक मिल गया। इसके लिए उन्हें भागदौड़ नहीं करनी पड़ी।

  • 250 लोगों की व्रद्धावस्था पेंशन बांधी गई है।
  • त्रिलोकपुरी की गलियों और सड़कों के सिमेंटीकरण के लिए 1 करोड़ का काम मोहल्ला सभा की बैठकों में पास हुआ और आज लगभग हर गली का सीमेंटीकरण हो चुका है।
  • ब्लॉक 34 में रहने वाली शीला देवी को अपनी बेटी की शादी के लिए सहायता राशि के रूप में 20 हजार रुपये मोहल्ला सभा के प्रयासों से ही मिले हैं। इसके लिए उनका आवेदन लगभग साल भर से लंबित था।
  • पॉकेट 3 के निवासियों को पहले सफाई व्यवस्था को लेकर काफी शिकायतें थीं। मोहल्ला सभा की 25 जुलाई की पहली बैठक के बाद इलाके के प्रत्येक घर में सम्बंधित सफाई कर्मियों की लिस्ट उनके नाम और फोन नंबर के साथ दे दी गई। 12 सिंतबर को हुई बैठक में लोगों ने सफाई व्यवस्था में संतुष्टि जाहिर की। स्पष्ट तौर पर यह मोहल्ला सभा की बैठक के बाद सफाई कर्मियों पर पड़े दबाव का ही नतीजा था।

हलाकि मोहल्ला सभा की पहली बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार कुछ काम तकनीकि खामियों के कारण नहीं हो पाए। मसलन-

`ऐसी बैठकों से निगम के लोगों का जनता से आमना-सामना हो जाता है, जो चीजें हमारी जानकारी में नहीं आ पातीं, उनका पता भी यहां चलता है। ऐसी बैठकें नागरिकों और निगम कर्मचारियों दोनों के लिए फायदेमंद है´ ....अरविंद कुमार (एएसआई, एमसीडी)

  • फेस 1 में पेट्रोल पंप के पास कूडेदान नहीं बन पाया। पार्षद ने बताया कि कूडेदान के निर्माण के लिए टेंडर जारी हो चुका है लेकिन अभी कोई ठेकेदार यह काम करने को तैयार नहीं है।
  • इसी तरह नालियों को ढकने की बात भी पहली बैठक में की गई थी। पार्षद ने अगली बैठक में जानकारी दी कि नालियों को ढकने का कार्य स्वीकृत हो गया है, डीएसआरसी के स्लब रेट तय होने के साथ ही कार्य शुरू हो जाएगा।

पॉकेट 3 के रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएसन के सचिव रामपाल वासुदेव बताते हैं- `पहली मोहल्ला सभा में जो निर्णय लिए गए थे, उसके ज्यादातर काम हो गए हैं। क्षेत्र को इन मोहल्ला सभा से काफी फायदा पहुंच रहा है। अब हमें अपने काम करवाने के लिए यहां-वहां नहीं भागना पड़ता। मोहल्ला सभा में हमारी समस्याओं को समाधान हो रहा है।´

ऐसा नहीं है कि इन मोहल्ला सभाओं की बैठक में सिर्फ क्षेत्रीय निवासी शरीक होते हैं बल्कि लोगों की समस्याओं से ताल्लुक रखने वाले नगर निगम के अधिकारी एवं कर्मचारी शामिल होते हैं।

`पहली मोहल्ला सभा में जो निर्णय लिए गए थे, उसके ज्यादातर काम हो गए हैं। क्षेत्र को इन मोहल्ला सभा से काफी फायदा पहुंच रहा है। अब हमें अपने काम करवाने के लिए यहां-वहां नहीं भागना पड़ता। मोहल्ला सभा में हमारी समस्याओं को समाधान हो रहा है।´ ...रामपाल वासुदेव, (निवासी, मयूर विहार)

ऐसी ही एक बैठक में आए दिल्ली नगर निगम के एएसआई अरविंद कुमार मोहल्ला सभा के कांसेप्ट को एक सराहनीय कदम मानते हैं। उनका कहना है कि ऐसी बैठकों से निगम के लोगों का जनता से आमना-सामना हो जाता है, जो चीजें हमारी जानकारी में नहीं आ पातीं, उनका पता भी यहां चलता है।स्वराज अभियान के कार्यकर्ता सुरेश कुमार का अधिकांश समय मोहल्ला सभा की गतिविधियों में ही गुजर रहा है। सभी समस्याओं का समाधान उन्हें स्वराज में ही नजर आता है। उनका कहना हैं कि त्रिलोकपुरी के एमसीडी स्कूल के एक शिक्षक को तो अपना काम ठीक से न करने पर बर्खाश्त भी किया जा चुका है।

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