…. मुझे भारत को केवल अंग्रेजों की पराधीनता से ही मुक्त कराने में दिलचस्पी नहीं है। मैं भारत को सभी प्रकार की पराधीनताओं से मुक्त कराने के लिए कटिबद्ध हूं। मुझे एक शासक के स्थान पर दूसरे शासक को लाने की जरा भी इच्छा नहीं है।
(हरिजन, 18 अप्रैल 1936)
…. सच्चा स्वराज मुट्ठी भर लोगों के द्वारा सत्ता प्राप्ति से नहीं आएगा, बल्कि सत्ता का दुरूपयोग किए जाने की सूरत में, उसका प्रतिरोध् करने की जनता की सामर्थ्य विकसित होने से आएगा।
(यंग इंडिया, 10 फरवरी 1927)
….स्वराज का अर्थ है सरकार के नियंत्रण से मुक्त होने का सतत प्रयास, यह सरकार विदेशी हो अथवा राष्ट्रीय।
(यंग इंडिया, 10 मार्च 1927)
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