Sunday, December 13, 2009

स्विटजरलैंड

स्विटजरलैंड को विश्व का सबसे अधिक लोकतांत्रिक देश माना जाता है। आर्थिक मामलों में भी यह सबसे सफल देश माना जाता है। यहां के नागरिकों की प्रति व्यक्ति आय पूरे विश्व में सर्वाधिक है साथ ही यहां के लोगों का जीवन-स्तर विश्व के सर्वोच्च दस देशों में से एक है। स्विटज़रलैंड के सामाजिक और राजनीतिक स्थायित्व के पीछे सबसे बड़ी वजह है इसकी राजनीतिक संस्थाएं जिन्होंने ये सुनिश्चित किया है कि आम आदमी खुद ये तय कर सके कि वो कैसा शासन चाहता है। सरकार ने बहु-सांस्कृतिक जनता के हितों का भी ख्याल रखा है।

स्विटज़रलैंड 26 भागों में बंटा है जिसे कैंटोन कहा जाता है। प्रत्येक कैंटोन 3000 कम्युन से मिल कर बनता है। देश शासन की तीन पायदान हैं- कम्युन, कैंटोन और फेडरल (संघीय) 1848 के फेडरल सविंधान ने देश में प्रत्यक्ष लोकतंत्र की व्यवस्था की है। फेडरल स्तर पर इस प्रत्यक्ष लोकतंत्र का आधार, जन अधिकार है जिसमें कोई संवैधानिक प्रक्रिया शुरु करने या जनमत संग्रह शामिल है। और ये दोनों अधिकार अपने आप में इतने ताकतवर हैं जिससे संसदीय निर्णय को भी पलटा जा सकता है।

यहां पर संसद यदि कोई कानून पास करती है और कुछ लोग उसका विरोध् करना चाहें तो 100 दिनों के भीतर 50 हज़ार हस्ताक्षर लोगों से हस्ताक्षर कराकर उसे चुनौती दे सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो इसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर जनमत संग्रह के लिए मतदान कराया जाता है कि लोग इस कानून को चाहते हैं या नहीं। 8 कैंटोन मिलकर किसी केंद्रीय कानून के लिए जनमत संग्रह की मांग कर सकते हैं। स्विटज़रलैंड मे हर साल एक दर्जन कानूनों पर जनमत संग्रह का होना कोई बड़ी बात नहीं है। पिछले डेढ़ सौ साल में स्विटज़रलैंड की जनता ने 534 केंद्रीय विधायकों पर अपनी राय दी है, इसके अलावा हज़ारों कैंटोन और स्थानीय स्तर पर हुए मतदान में भी भाग लिया है।

इसी तरह, स्विस संविधान में व्यवस्था है कि नागरिक किसी संवैधनिक संशोधन के लिए भी प्रस्ताव ला सकते है, इसके लिए प्रस्ताव किए जाने के 18 महीनों के भीतर 1 लाख लोगों के हस्ताक्षर जुटाने की ज़रूरत पड़ती है। संसद भी एक संविधान संशोधन का प्रस्ताव पूरक के तौर पर रख सकती है और यदि दोनों प्रस्ताव स्वीकार कर लिए जाते हैं तो फिर इस पर मतदान के जरिए फैसला किया जाता है। नागरिकों या संसद द्वारा प्रस्तावित संशोधन के पास होने के लिए यह आवश्यक है कि उसे दोहरा बहुमत प्राप्त हो, यानि राष्ट्रीय पोपुलर और कैंटोनल पोपुलर वोट, दोनों उसके समर्थन में पड़े।

केंद्रीय या संघीय सरकार कैंटोन को एक एकीकृत देश के रूप में मानता है, केंद्रीय सरकार केवल उन्हीं मामलों में हस्तक्षेप करती है जिसका संबंध् सभी कैंटोंन से हो। ऐसे मामलों में मुख्यत: विदेश नीति, राष्ट्रीय सुरक्षा, रेल और टकसाल आते हैं। इसके अलावा शिक्षा, श्रम, आर्थिक और जन कल्याण की नीतियों से जुड़े मुद्दों पर कैंटोन और कम्यून की सरकारें ही निर्णय लेती हैं। प्रत्येक कैंटोन की अपनी संसद और संविधान होता है और ये एक दूसरे से अलग होती है। इसी तरह कम्यून का स्वरुप भी एक दूसरे से अलग हो सकता है। इसमें कुछ सौ से ले कर 10 लाख तक की जनसंख्या के साथ ही अपनी विधान सभा और कार्यकारी परिषद भी होती है। कैंटोनल और कम्यूनल सरकारों को उस क्षेत्र की जनता चुनती है।

स्विटजरलैंड का संविधान तभी बदला जा सकता है जब जनमत संग्रह के द्वारा मतदाताओं और कैंटोन्स के मतदाताओं का पूर्ण समर्थन मिल जाए। कैंटोन्स के ग्रामीण मतदाता, जो थोड़े रुढ़ीवादी होते हैं उन्हें समझाना आवश्यक हो जाता है क्योंकि उनके मत के बिना संविधान में बदलाव करना मुश्किल है।

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